बलिया-बेरुआरबारी ब्लॉक के करम्मर गाँव के गढ़ीमाई मंदिर परिसर में शुक्रवार को फाइलेरिया उन्मूलन कैम्प आयोजित कर 45 फाइलेरिया रोगियों को रुग्णता प्रबन्धन एवं दिव्यांगता रोकथाम (एमएमडीपी) किट प्रदान की गयी। इसके साथ ही फाइलेरिया प्रभावित अंगों की समुचित देखभाल के बारे में विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया। यह कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान एवं सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से आयोजित हुआ। प्रशिक्षण में जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर जनित रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसे लिम्फोडिमा ( हाथी पांव ) भी कहा जाता है। यह बीमारी न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है बल्कि इस वजह से मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। शुरू में डॉक्टर की सलाह पर दवा का सेवन किया जाए तो बीमारी को बढ़ने से रोक सकते हैं। उन्होंने बताया कि इससे बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के आस- पास व अंदर साफ-सफाई रखें, पानी जमा न होने दें और समय-समय पर रुके हुए पानी में कीटनाशक, जला हुआ मोबिल ऑयल, डीजल का छिड़काव करते रहें।
उन्होंने फाइलेरिया प्रभावित अंगों के रुग्णता प्रबंधन का अभ्यास कराया और बताया कि इससे बचने के लिए एमडीए अभियान के दौरान दो वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को दवा का सेवन करने की आवश्यकता है। दवा के सेवन से फाइलेरिया रोग से बचा जा सकता है। फाइलेरिया के मरीजों को प्रभावित अंग की अच्छी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए, जिससे किसी प्रकार के संक्रमण से मरीज न प्रभावित हो। इसके लिए उन्हें साफ-सफाई और दवा का सेवन नियमित रूप से करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जनपद में लिम्फोडीमा फाइलेरियासिस (एलएफ़) के 4269 मरीज हैं। इन मरीज़ों में से 3234 मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित की जा चुकी हैं।कार्यक्रम में करम्मर निवासी 45 वर्षीय मीना देवी ने बताया - “फाइलेरिया (हाथीपांव) के कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार पर इतनी अच्छी जानकारी शिविर में मिली। इस शिविर के विषय में मुझे आशा कार्यकर्ता ने जानकारी दी थी। शिविर में हमें रोग के प्रबंधन, साफ- सफाई, पैर की धुलाई, उचित आकार के चप्पल, सैंडल पहने, चोट लगने, कटने, जलने से बचाव के बारे में जानकारी मिली। व्यायाम के विषय में भी जानकारी मिली अब मैं सुबह - शाम अभ्यास करूंगी, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करूंगी। साथ ही फाइलेरिया रुग्णता प्रबंधन किट भी मिली है, इस किट में अभ्यास के दौरान दिखाई गई सभी सामग्री मौजूद है ।” 55 वर्षीय सविता देवी ने बताया – “मैं इस शिविर में शामिल हुई जहां पर विस्तार से फाइलेरिया (हाथीपांव) के लक्षण, बचाव, उपचार, व्यायाम के बारे में प्रशिक्षण मिला। पहली बार मुझे किट मिली है। इसका प्रयोग मैं अच्छे से करूंगी, दिन में दो बार जो व्यायाम बताया गया है। उसे भी करूंगी, पैर की नियमित सफाई- धुलाई करूंगी, आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। स्वास्थ्य विभाग की इस पहल से सभी मरीजों को लाभ मिलेगा ।”इस अवसर पर कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर अंकिता सिंह, आशा रुबी सिंह, रीतू यादव, चंदा देवी, इंदु सिंह, छाया देवी, पाथ संस्था के आर एन टीडी ओ डॉ. अबू कलीम, जिला समन्वयक नितेश कुमार, सीफार संस्था के प्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे।
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