असुरक्षित गर्भपात मातृत्व स्वास्थ्य के लिए हानिकारक- मुख्य चिकित्सा अधीक्षक - EYE INDIA NEWS

Breaking


 

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Monday, June 27, 2022

असुरक्षित गर्भपात मातृत्व स्वास्थ्य के लिए हानिकारक- मुख्य चिकित्सा अधीक्षक





बलिया - अनचाहे गर्भ से बचने के लिए कई अस्थायी व स्थायी साधनों की मौजूदगी के बाद भी असुरक्षित गर्भपात - मातृ स्वास्थ्य के लिए जोखिम  भरा हो सकता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुमिता सिन्हा ने दी। 

उन्होंने बताया कि यदि किन्हीं कारणों से अनचाहा गर्भ ठहर भी जाता है तो सुरक्षित गर्भपात करवाना ही उचित होता है जिससे महिला की जान को जोखिम से बचाया जा सके। इससे मातृ मृत्यु दर में भी कमी लायी जा सकती है। इसके अलावा किशोरावस्था में अनचाहे गर्भ से मुक्ति पाने और सामाजिक उलाहना से बचने के लिए भी किशोरियों को कतई असुरक्षित गर्भपात का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि यह उन्हें शारीरिक व मानसिक दिक्कतों के साथ ही उनकी जान को भी जोखिम में डाल सकता है|    

महिलाओं और किशोरियों में असुरक्षित गर्भपात के जोखिम को ध्यान में रखते हुए, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी (संशोधित) एक्ट, 2021 को समझने की ज़रुरत है जिनमें समाज और धार्मिक नेता भी शामिल हैं ताकि महिलाओं को असुरक्षित गर्भपात से बचाया जा सके| 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में हर वर्ष कुल गर्भधारण में लगभग आधे गर्भधारण अनचाहे होते हैं। इनमें 10 में से छह अनचाहे गर्भधारण और सभी 10 में से तीन गर्भधारण गर्भपात में समाप्त होते हैं। डब्ल्यूएचओ का साफ़ मानना है कि गर्भपात तभी  सुरक्षित हो सकता है जब वह प्रशिक्षित डॉक्टर की मदद से सही तरीके और सही समय पर कराया  जाए । अगर गर्भपात सुरक्षित न हो तो ऐसी स्थिति में यह शारीरिक , मानसिक विकार के साथ महिला या किशोरी की मौत का कारण भी बन सकता है। 

असुरक्षित गर्भपात से होने वाली कुल मौतों में 97 प्रतिशत मौत विकासशील देशों में होती हैं । विकसित देशों में  जहाँ एक लाख पर 30 महिलाओं की मृत्यु होती  है  वहीं विकासशील देशों में 220 महिलाओं की जान चली जाती है। विकासशील देशों में करीब 70 लाख महिलाएं हर साल असुरक्षित गर्भपात के कारण अस्पतालों में भर्ती होती हैं। 

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2022 के अनुसार, असुरक्षित गर्भपात भारत में मातृ मृत्यु दर का तीसरा प्रमुख कारण है  और असुरक्षित गर्भपात से संबंधित कारणों से हर दिन करीब आठ  महिलाओं की मौत हो जाती है। 

डॉ. सुमिता सिन्हा का कहना है कि असुरक्षित गर्भपात से होने वाली मातृ मृत्यु को कम करने एवं गर्भपात सेवाओं को  बेहतर और गुणवत्तापूर्ण  बनाने के उद्देश्य से देश में वर्ष 1971 में चिकित्सीय गर्भपात अधिनियम (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी एक्ट या एमटीपी एक्ट) लागू किया गया| यह अधिनियम सुरक्षित गर्भपात सेवा के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है जिससे असुरक्षित गर्भपात को कम किया जा सके| पहले इस अधिनियम के अनुसार भारत में विशेष परिस्थितियों में 20 सप्ताह तक के गर्भ का गर्भपात कराना वैध था लेकिन अब संशोधित अधिनियम (2021) के अनुसार 24 सप्ताह तक के गर्भ का गर्भपात कराना वैध है|

डॉ.सुमिता  सिन्हा के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु में गर्भधारण करना किशोरावस्था में गर्भ धारण (टीन एज प्रेग्नेंसी) कहलाता है।  राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5  (2019-21) के अनुसार  15 से 19 वर्ष की लगभग तीन  प्रतिशत महिलायें सर्वे के समय या तो गर्भवती थीं  या माँ बन चुकी थीं। टीन एज प्रेगनेंसी  के कारणों में एक कारण तो कम आयु में विवाह है लेकिन कभी - कभी ना समझी के परिणाम स्वरूप  यह हो सकता है। ऐसे में किशोरियाँ असुरक्षित गर्भपात को तरजीह देती हैं,  जिसमें वह निजी अस्पतालों या अप्रशिक्षित चिकित्सकों के द्वारा यह प्रक्रिया करवाती हैं । 

प्रदेश में कोम्प्रेहेंसिव एबॉर्शन केयर की सुविधा उपलब्ध की जा रही है जहाँ ज़रुरत पड़ने सुरक्षित गर्भपात करवाया जा सकता है| राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य केंद्रों पर एडोल्सेन्ट फ़्रेंडली क्लिनिक -'साथिया' संचालित हैं वहाँ पर काउंसलर इस समस्या का समाधान करते हैं तथा सभी बातें गोपनीय रखी जाती हैं। 

 किन परिस्थितियों में  गर्भपातकरा सकती हैं :-* 

• यदि गर्भ को रखने से महिला के जीवन को खतरा है या उसके कारण महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गहरी चोट पहुँच सकती है। 

• अगर पैदा होने वाले बच्चे को शारीरिक या मानसिक असमानताएं होने की सम्भावना है। 

• अनचाहा गर्भ होने पर और  गर्भनिरोधक विधि की असफलता के कारण गर्भपात कराया जा सकता हैं।

गर्भपात सेवाएं कौन प्रदान कर सकता है:- 

केवल स्त्री रोग विशेषज्ञ या प्रशिक्षित एम.बी.बी.एस. डॉक्टर ही गर्भपात सेवाएं दे सकते हैं।  

गर्भपात सेवाएं कहाँ प्रदान की जा सकती हैं:-  

सरकार द्वारा स्थापित या संचलित अस्पताल/स्वास्थ्य केंद्र और मान्यता प्राप्त निजी नर्सिंग होम /अस्पताल में 

गर्भपात के लिए सहमति- 

यदि महिला 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की हो और मानसिक रूप से स्थिर हो तो सहमति फॉर्म पर केवल महिला की सहमति से गर्भपात किया जा सकता है। पति/परिवार की सहमति की जरूरत नहीं होती। नाबालिग होने (18 वर्ष से कम आयु) होने की दशा में या मानसिक रूप से बीमार होने पर संरक्षक की सहमति की आवश्यकता होती है।  

एमटीपी अधिनियम आशा, एएनएम, लोकल हेल्थ विजिटर (एलएचवी), स्टाफ नर्स, दाइयों को या अन्य किसी अप्रशिक्षित व्यक्तियों को गर्भपात करने की अनुमति नहीं देता है हालांकि गर्भपात के बाद इनसे देखभाल के लिए सलाह ली जा सकती हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि लिंग परीक्षण के लिए किया गया गर्भपात अवैध है।

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad

Responsive Ads Here